मधुमेह के रोगियों को अपने पैरो का ख्याल कैसे रखे ?
मधुमेह के रोगियों को अपने पैरो का ख्याल कैसे रखे ?
मधुमेह के रोगियों को अपने पैरो का ख्याल रखना चाहिए या मधुमेह (डायबेटीस) में पैरोंके जखमो को कैसे टाले ?
यहाँ पर मधुमेह डायबेटीस के रोगियों को पैरो का ध्यान कैसे रखना है ये बताया गया है. ये सरल और आसान चीज़े है।
पैरो का ध्यान रखने से ९० % लोगो के पैरों को बचायाजा सकता है। यदि आपको कोई भी शंका या संदेह है तो कृपया हम से संपर्क करे।
1 ) पैरो का रोजाना निरिक्षण करीये :
रोजाना कम से कम १ मिनट अपने पैरो का निरिक्षण (ध्यान) दीजिये। पैर मे घाव ,सूजन ,दर्द या रंग मे यदि कुछ बदलाव नजर आता है तो आप उसी समय उस जगह की पट्टी (ड्रेसिंग )करीये और जो योग्य डॉक्टर हो उन्हे दिखाइए।
Examine Foot Daily
Check for Spaces in between Toes
तुलना करने के लिए अपना दूसरा पैर देखिए।
किसी भी तरह का जख़्म / सूजन समय होते ही उपचार किया जाये तो वो आगे नहीं बढ़ेगा अभी के समय में उपचार से ही जख़्म ठीक हो सकती है. और ऑप्रेशन टल सकता है।
कुछ और नहीं कर सकते , लेकिन केवल एक दैनिक आधार पर अपने पैरो की देखभाल करना आपके अधिकांश समश्याओ को हल करने में मदद क्र सकता है।
(२) नियमित प्रकार अपने पैर धोइये :
हर रोज अपने पैरोंके धोना और निरिक्षण करना ये महत्व का काम है। गुनगुने और सौम्य साबुन का इस्तेमाल।
अपने हाथ के कोहनी से सर्वप्रथम पानी का तापमान हमेशा देखिये।
(१) पानी का तापमान देखे।
(२) सौम्य साबुन का इस्तेमाल करें।
(३) गुनगुने पानी का इस्तेमाल करे , वरना चमड़ी जल सकती है।
(४) दोनों उंगलियों के बीच की जगह को साफ करना न भूले।
दोनों उंगलियों के बीच की जगह को साफ करना न भूले। कभी कभी वहा जख्म (Infection) की सुरुवात हो सकती है।
अपने पैरो के बीच की जगह को देखना ना भूले। कभी कभी वह संक्रमण भी शुरु हो सकता है।
Wash foot with mild soap and Lukewarm water
Clean in between toe spaces
(3) त्वचा का ख्याल :
अपनी त्वचा मुलायम और कोमल रखने के लिए तैलीय पदार्थ का उपयोग करें। चमड़ी तैलीय होने से खुजली कम होती है। सूखे और गर्म त्वचा पे ज्यादा खुजली होती है। आप कोई भी moisturizing cream इस्तेमाल कर सकते है।
नारियल का तेल यह सस्ता , उत्तम ,और घरेलु उपाय है.
यह जख्म पर ना लगाए।
Apply moisturizer (coconut oil) to keep your skin soft
१) त्वचा को मुलायम रखने के लिए उस पर ( moisturizer ) या नारियल का तेल लगायें।
२) अक्सर घरो की फर्श फिसलनदार होती है इससे सावधान रहे।
4) पैरो के नाखूनो का ख्याल :
पैरो के नाखूनो को हमेशा सीधी और तिरछे तरफ से काटे।नाखूनो को कोनो तक ज्यादा काटने की कोशिश ना करे। या उंगलियों के बिच में ज्यादा (खुरेदने) खोदने की कोशिश न करे। त्वचा के बिलकुल नजदीकी हिस्से तक काटने से कई बार संक्रमण या अन्य दुष्प्रभाव हो सकता है।
यदि नाख़ून बहुत मोटे या कड़े (सख़्त ) है या अड़ी टेढ़ी हो गई है तो वह काटने के लिए कुछ विशिष्ट उपकरण की जरुरत है। जिसके लिए आप को योग्य डायबेटिक फूट स्पेस्लिस्ट की सहायता लेनी होगी।
आप के पैरो की संवेदना काम हो गई होगी या रक्तप्रवाह की समस्या हो गई है तो नाखूनो को हो सके तो किसी अच्छी जानकारी वाले व्यक्ति से ही कटाये।
(5)जूते / चप्पल / ( Boot /shoes ) :
योग्य प्रकार के बूट ( जूते ) पैरो में पहनने से पैरो के अधिकांश समस्या ( डायबेटीस / मधुमेह ) के रोगियों में टल सकती है.
अधिकांश ( डायबेटीस / मधुमेह ) के रोगियों मै पैरो के आकर बदले होते है।
जिस प्रकार ये व्यक्ति चलते है वो भी अन्य लोगो से अलग होता है जिसके वजह से पैरो के कुछ हिस्सों पर ज्यादा तरीके का दाब पड़ता है.
दबाव ज्यादा पड़ने से वह जख़्म ( अल्सर / ulcer ) निर्माण हो सकता है। इसलिए योग्य प्रकार का बूट /जूता पहनना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
इसके आलावा पैरो मै हमेशा मोज़े ( जुलाफ ) पहने। पैरो मई २४ घंटे मोजा ( जुलाफ) होना बहोत महत्वपूर्ण है।
घर में बाहर सभी जगह मोजा (जुलाफ ) पहने। इसके वजह से काफी सारे जख्मो को टाला जा सकता है, और साथ ही पैरो के चमड़ी पर दबाव भी कम पड़ता है।
(A) चप्पल ,स्लीपर, सैंडल्स न पहने। इससे पैरों मै जख़्म हो सकता है।
(B) आप कोई भी बूट (जूते ) पहने लेकीन उनमे ये तीन गुणधर्म होना अत्यधिक आवश्यक है।
(१) आपका पैर सभी तरफ से ढका गया होना चाहिए। जूता (बूट) सभी तरफ से आप के पैरो को सरक्षण देना चाहिए। जिसके वजह से काफी सारे जख़्म ,मच्छरों , कीटाणुओं का काटना टल सकता है।
(२) पैर का तलवा बूट (जूते ) के अंदर के जिस भाग पर पड़ता है जिसको इंग्लिश मे ( इन्सोल / insole ) कहा जाता है वो मोटा होना आवश्यक है।
मोटा और मुलाया इन्सोल (इन्सोले) के वजह से पैरो का दबाव सभी तरफ अच्छे से फैलता है। अथवा एक विशिष्ट जगह दबाव न पड़ने के वजह से पैरो को होने वाले जख़्म (अलसर/ ulcer) के होने की संभावना कम होती है.
(३) बूट ( जूता ) आगे की तरफ फैला हुवा होना चहिये। मतलब जिससे सभी उंगलियों को वह रहे के लिए अच्छे से जगह मिल; सकती है। उसके वजह से सभी उंगलिया अच्छे से काम करती है। घर मे और बाहर सभी जगह पैरो मे मोटे मोज़े ( जुलाफ ) पहने।
हवाई चप्पल अथवा जिनको हम स्लिपर्स (sleepers ) कहते है। या कोई भी अंगूठे वाला चप्पल उदाहरण : कोल्हापुरी सैंडल्स टाले।
Customised insole – showing customised curves and layers of different materials used
1) If customized footwear not available,
use sport shoes, one size bigger
हमेशा घर में और बाहर हर जगह (socks) मोज़े पहने। Always wear socks, in the house as well outside
लंबे कॉटन के मोज़े ( जुलाफ़/ socks ) पहने और सादे खेल के जूते (स्पोट शू ) पहने , जिसमे निचे दिए गए गुणधर्म होने चाहिए।
१) वेलक्रो (velcro) लगाये हुवे , जिससे जूते निकालने और पहनने मे आसानी होगी।
२) आप के पैरों से एक साइज़ बडा जिससे आगे के भाग मे उंगलियों के जगह मिलेगी।
३) पैरो का तलवा लगने वाला वो हिस्सा जिसे इन्सोल (insole) कहा जजता है। वो मोटा और मुलायम होना जरुरी है
४) ये जूते नियमित रूप मे हर ६-१२ महीनो मे बदलते रहिये। क्योकि वो ढीला होता जाता है और पैरो का आकर भी बदलता रहता है।
Do not use slipper or hawai chappal
खास प्रकार के जूते (बूट) :
मधुमेहियो के लिए उनके पैरो के आकर उनका दाब और चलना अच्छे से निरिक्षण कर के बनाये गए जूते सबसे उत्तम होते है।
इस तरह कके जूतोमे उन व्यक्ति केके जरुरत के अभिकरण लिया जाता है इस प्रकार के बूट ( जूते ) भारत मे बहोत कम जगह मिलता है।
बिलकुल ( special shoes / customized shoes /diabetic shoes /doctor shoes इसतरहा के सिर्फ लेबल लगाने से वो जूते (बूट ) डायबेटिक
(Diabetic shoe) नहीं बनते।
६ ) पैरो की समस्या के सुरुवात के चिन्हों को देखे :
मोटी चमडी और पैरो की सख़्त पर्त : (Corn / callosity / warts)
जख़्म ( अलसर) की शुरुवात इस चमड़ी के सख़्त भाग से ही होता है। इस पर घरेलु उपचार ना करे।
Pus Formation
पैरों मे पहले की अपेक्षा कोई और बदलाव हुवा है तो उस पर अच्छे से ध्यान ( गौर ) करें।
पैर मे infection
Discoloration of infected toe
पैरों मे पहले की अपेक्षा कोई और बदलाव हुवा है तो उस पर अच्छे से ध्यान ( गौर ) करें। पैरोंके पूर्व के बदलाव के कारण किसी एक को सतर्क करना चाहिए।
तुलना करने के लिए दूसरा पेअर देखे सकते है। संक्रमण (infection ) होने पर त्वचा लाल रंग की हो सकती है. मवाज (पस /pus) होने पर पीला भाग दिख सक्लता है। रंगो मई कोई भी बदलाव जैसे की बैंगनी से काले का अभिसरन की समस्या दिख सकती है। जब रक्तभिषरण कम होते जाता है तभी किसी व्यक्ति को ज्यादा दर्द हो सकता है। या एक पैर दूसरे पैर के तुलना मई छूने से ठंडा (शीतल ) लग सकता है।
(८) अपने पैरो को जलने से बचाये : काफी ऐसे मधुमेह के रोगी है जिन को पैरो में कोई संवेदना नहीं होती। कुछ लोगो को स्पर्श करने से महसूस तो होता है लेकिन वेदना ( दर्द) गर्म चीजों की संवेदना नहीं होती है.
चेतावनी (Warning) : कभी भी गर्म पानी में अपने पैर न भिगोए। पैरो के संवेदना जाने से इसमें बहोत धोका है। काफी लोगो ने इस वजह से अपने पैर और जान दोनों गवाई है. स्नान (नहाने) से पहले नहाने वाले पानी का तापमान अपने हाथ के कोहनी से जांच ले.
अगर आप कहीं भी ठंडी और शीतल जैसे जगह पर है तो सावधानी बरतना आवश्यक है। शीतल ( ठंडी ) हवा में उंगली तक जाने वाले रक्त की मात्रा कम हो सकती है। जब कोई भी संवेदना नही बची होती है तो बहुत देर के बाद यह चीज समझ आती है या तब ये चीजो के तरफ ध्यान जाता है। अगर पैर जल गया है तो समय न गवाएं योग्य डॉक्टर को दिखा के उचित उपचार लीजिये.
(९) किसी भी तरह का (मलहम / ointment/ cream ) खुद से लगाना टाले : मधुमेह (डायबेटीस) में पैरो की चमड़ी बहुत नाजुक होती है इसके साथ जो प्रतिकार शक्ति होती है वो भी काम होजाती है। ये भिन्न भिन्न चीजों के कारन के वजह से पैरो के चमड़ी को नुकसान (पीड़ा) पहोचती है।
जब पैरो में कोई जखम नहीं हुवा है तब से ही अपने पैरो मे नारियल का तेल हलके हाथ से मलिये।यदि जख्म है तो नॉर्मल सलाईन ( Normal saline ) और गौझपीस ( gauze Piece) पट्टी इस्तेमाल करे और जल्दी से जल्दी किसी योग्य (diabetic foot specialist) की सलाह ले।
10. तम्बाकू ( जर्दा ) का उपयोग या इस्तेमाल ना करे उदा : ( सिगरेट ,पान ,बीडी ,)
सिग्रेट ,बीडी ,पान ,तंबाकू ,गुटका ,जर्दा इन सब मे होने वाले अलग अलग विषारी द्रव्य मुख्यतः निकोटिन और कार्बनमोनो ऑक्साइड इनके वजह से रक्तप्रवाह पर परिणाम होता है पैरो का रक्तप्रवाह कम होने से पैर काला ( gangrene ) हो सकता है। उसके वजह से होने वाले किसी भी प्रकार के लत को आप पूर्णतः या पूरी तरह से जल्द ही बंद कर दीजिये।
11. मधुमेह ( डायबेटीस ) और संपूर्ण आरोग्य
अपने मधुमेह (डायबेटीस) को नियंत्रण के निचे रखे। योग्य आहार।,शारीरिक व्ययाम,योग्य दवाइया, लेकर आप अपने ब्लड शुगर लेबल को नियंत्रण मे रख रकते है इन चीज़ो की वजह से काफी सारे होने वाले दुष्परिणाम टल सकते है, जैसे की बाकी की चींजे उदा : रक्दाब, ह्रदय की बिमारी , कोलेस्ट्रॉल ,वजन इन चीज़ो का ख्याल रखें इनसब चीज़ो से आपके आरोग्य पर और मधुमेह पर प्रभाव पड सकता है। मधुमेह (डायबेटीस) सुरुवात के स्तर पर हो तो वो बिना दवाई और औषधियों के भी नियंत्रण में (रिवर्स डायबेटीस / reverse diabetes ) लाया जा सकता है